विजय पर्व मना रहे हैं शक्ति को नमन कर
उपासना का पर्व है ये भक्ति को नमन कर
दुष्ट के संहार का संकल्प ले कर चल पड़ो
उदण्ड खण्ड खण्ड हो शीघ्र ही दमन कर
प्रकाश का पर्व है उल्लास हिय में धारकर
जय उद्घोष हो तम् विचार तिमिर मारकर
विजय हासिल करो नव-उन्नयन भी मिले
इस जगत् में बस मातृशक्ति को पुकारकर
वीर पुत्र हो हिला गगन को कर सिंहगर्जना
पाक कीच उलीच दे हो रहे दुष्ट की भर्त्सना
शक्ति दे भक्ति दे वरदान शौर्य का भी मिले
मातु बड़ी दयार्द्र है कर बस जरा अभ्यर्थना
रवि प्रकाश
जबलपुर