अपने घर पर मैंने,
दीपावली के शुभ अवसर पर,
माँ लक्ष्मी एवं सरस्वती की तस्वीर के सामने,
मैंने प्रार्थना की दोनों हाथ जोड़कर
हे माँ सरस्वती,
मेरी सोई हुई ज्योत जगा दो,
मुझे कोई फिल्मी जगत का नायक बना दो,
मेरी नैया पार लगा दो।
मैंने कहा हे लक्ष्मी माँ,
मेरे जीवन का अंधकार भगा दो,
धन देकर जीवन उज्जवल बना दो।
ज्यादा नहीं तो बस
मुझे किसी क्षेत्र का विधायक बना दो।
मैंने तभी देखा कि सरस्वती माँ,
लक्ष्मी माँ को,
कोहनी मार कर कह रहीं हैं,
इसे ऐसे ही रहने दो।
यह कवि ही ठीक है,
इसे कविता कहने दो।
पूजा
पीजीजीसीजी- 42
चंडीगढ़