नटखट हो तुम,
फिर भी मन मोह लेते हो।
माखन चोर हो तुम,
फिर भी मंत्र-मुग्ध कर देते हो।
गोपिन को सताते हो तुम,
फिर भी उनको मोह लेते हो,
साँवरी सूरत वाले,
सबका हृदय कैसे जीत लेते हो।।
गैंया, मोर, ग्वालिन
हम सब हैं तुम्हारे दीवाने।
जादू ये सब
तुम कैसे कर लेते हो?
बांसुरी की तान में तुम्हारी
राधा भी मतवाली
प्रेम की धुन कैसे बजा लेते हो।।
बसे हो कण-कण में तुम
सबके हृदय में तुम्हारा वास हैं
भक्तों की पीड़ा हरने
तुम पल में आ जाते हो।
कभी ना छोड़ना हमारा हाथ
क्योंकि जीत लिया है तुमने
हम सब का विश्वास।।
जय श्रीकृष्णा, राधे-राधे
पूजा