बाघ बहुत ही हिंसक निर्दयी आदमखोर जंगली जानवर है। बाघ अपनी ताकत स्फूर्तता सुंदरता और चंचलता के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है इसलिए भारत सरकार द्वारा बाघ को राष्ट्रीय पशु का दर्ज़ा प्राप्त है। बाघ को बिल्ली की प्रजाति का सबसे बड़ा जानवर माना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘पैंथेरा टाइग्रिस’ है। इसके शरीर का रंग पीले और भूरे रंग का मिश्रण होता है जिसके ऊपर काले रंग की धारियाँ होती है और पेट के नीचे वाले हिस्से का रंग सफेद होता है।
यह एक मज़बूत जानवर है जो लंबी दूरी से अपने शिकार को पकड़ सकता है। यह अन्य जानवरों जैसे (गाय, भैंस, बकरी, हिरण, कुत्ते, खरगोश) कभी-कभी मनुष्य के खून और माँस का बहुत शौक़ीन होता है। बाघ के शरीर की लंबाई 7 से 10 फुट और वज़न 350 किलो से भी अधिक होता है। बाघ का जीवनकाल 10 से 15 वर्ष का होता है।
बाघ भारत के वन्यजीव की समृद्धि का प्रतीक है। यह जंगल में ज्यादातर अकेला ही रहना पसंद करता है। बाघों को लुप्त होने से पहले बचाया जा सके इसके लिए वर्ष 2010 में 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में मनाया गया। तब से प्रति वर्ष 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
बाघ का गर्भकाल 95 से 115 दिन का होता है। सफेद रंग का बाघ होने के चांस 10000 में से मात्र 1 का होता है। भारत सरकार ने बाघ की प्रजाति बचाने के लिए बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया साथ ही वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 को लागू हुआ जिसके तहत 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत हुई।
बाघ एक बार में 20 से 25 किलो माँस खा जाता है। बाघ की दहाड़ 3 किलोमीटर तक सुनी जा सकती है। बाघ के शरीर के किसी भी भाग को बाज़ार में बेचना या खरीदना गैरकानूनी है। बाघ दिन में सोता है और रात में शिकार करता है। बाघ शानदार तैराक होता है जो 6 किलोमीटर की दूरी आराम से तैर सकता है।
बाघ के भय से सम्पूर्ण जंगली जानवर और मनुष्य तक भयभीत रहते हैं।यही कारण है कि बाघों को जंगल का भगवान माना जाता हूं। बाघ हमारे पारिस्थितिक तंत्र के लिए बहुत ही आवश्यक है। बाघ की ताकत और शक्ति का अंदाज़ा हम इसी बात से लगा सकते हैं कि वह विशालकाय हाथी और ज़िराफ जैसे जानवर को भी अपना शिकार बना लेता है। वास्तव में यह बहुत ही खूँखार जानवर होता है। भारत में अधिकांशत: बाघ पश्चिम बंगाल के सुंदरवन क्षेत्र में पाया जाता है जिसे रॉयल बंगाल टाइगर के नाम से जाना जाता है। रॉयल बंगाल टाइगर का उद्भव स्थल भारत को ही माना जाता है। बाघ एक स्तनधारी जन्तु है।
मनुष्यों द्वारा विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति हेतु बाघों का निरंतर शिकार किए जाने की वजह से आज बाघ विश्व भर में विलुप्त प्रजाति के रूप में गिना जाता है। भारत में भी स्वतंत्रता के बाद बाघों का शिकार अंधाधुंध किया जाने लगा जिसको रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अप्रैल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर नामक अभियान शुरु किया गया था।
भारत में बाघों का महत्व का पता इस बात से पता चलता है कि भारत में बाघों की तस्वीरों को नोटों और डाक टिकटों इत्यादि जगहों पर लगाया गया है।
अतुल पाठक ‘धैर्य’
हाथरस, उत्तर प्रदेश
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