मेरे विचार: हेमकंवर

विचारों की जो बातें हैं,
विचारों से ही करती हुँ,
कभी बादल, समन्दर के,
मैं व्यवहारों से करती हूँ
देशभक्ति, राजनीति,
धर्म, कर्म विचारों में,
विचारों से समझदारी,
समझदारों से करती हूँ

समझदारों की इस दुनिया में,
हम पागल ही अच्छे हैं,
जो तुम डटकर रहो सागर,
तो हम बादल ही अच्छे हैं,
आँख का आंसू
सागर भी है खारा,
जो तुम बनकर रहो आँखें
तो हम काजल ही अच्छे हैं

बढूं आगे ही आगे तो,
समंदर पीर का गहरा,
सफलता की दिशाओं पर,
मेरे जज्बात का पहरा,
नियंत्रित भाव हो जाए,
अगर निश्चय जो दृढ करलें,
हर शत्रु मिटा करके,
तिरंगा शीश पर लहरा,
जो अब तक सामने थे तुम,
वो पीछे हो नहीं सकते,
विचारों से ही जो ऊंचे हो,
वो नीचे हो नहीं सकते,
फैलाया जिन विचारों को,
विस्तृत दिशाओं में,
अपने यहां संकीर्ण,
वो खींचे हो नहीं सकते,

अपनों की अदालत में,
कहां परिणाम मिलता है,
काम जैसे करोगे तुम,
वही अंजाम मिलता है,
चाहे कितने ही करलो तुम,
पूजा, धर्म के काम,
जहां दिल में सफाई हो,
वही घनश्याम मिलता है,

के तुम कहते हो गीता से,
ही निश्चित गति होती,
कर्म करते जो अच्छा तो,
ना कोई दुर्गति होती,
प्रेम का हो, या हो,
संसार का सागर,
सब कुछ पार हो पाता,
जो तेरी संगति होती,

गर तेरी जो इच्छा हो,
तो क्या बाहर भी ना निकलूं
क्या तेरी हर बात की खातिर,
तेरी हर बात पर फिसलूं
इस जमाने में भी है,
कितनी ही बाधाएं,
कैसे सहन करके,
भला मैं इनमें ही घिसलूं

तेरी हर बात की खातिर,
मेरी हर बात आधी है,
तूने रखकर बंदूकें जो,
मेरे कंधों से साधी है,
होकर के रुसवा तुझसे,
जो टूटी थी उम्मीदें,
के हमने वही उम्मीद,
फिर इक बार बांधी है,

किसी का साथ जो दे दूँ
तो कहते हैं मैं पागल हूँ
किसी के दर्द में रो दूँ तो,
कहते हैं मैं पागल हूँ
इस जमाने के भी क्या कहने,
मैं कुछ समझूँ तो पागल हूँ
जो ना समझूँ तो पागल हूँ

हेमकंवर
फतेहाबाद, हरियाणा