लाख करें संघर्ष तो क्या
प्रयोजन अपना पाना है
पथ में आये कितने रोडे़
मार्ग में नहीं अकुलाना है
लाख दुखों की नदियांँ बह जायें
सुख का परचम लहराना है
कितना भी कोई करे शोर
भोर किरण बन जाना है
अस्तित्व प्रभाव को बलिष्ट कर
विचार और हृदय विशाल करो
स्वयं में विश्वास की नीव धर
मस्तिष्क-हस्त का सम्पर्क साध चलो
निश्चित उद्देश्य लक्ष्य प्रशस्त कर
आत्मबल से स्थूल दृष्टान्त बनो
चित्त को धार्मिक संस्कार में बांध
पौराणिक ढाँचें में मन को ढालो
सत्य सनातन राम हृदय में
घर-घर राम का नाम उद्भव करो
मन का रावण विध्वंस कर
अहनिका का परित्याग करो
करों प्रतिष्ठित राम राज का
अभियोग का संहार करो
धरती पर नारी ना चीखे
नये विधि का विस्तार करो
भाग्य उदय की आस छोडो़
कर्म को सौभाग्य बना लो
अपने दोनों पाणि से
नित नवीन वृतांत रचो
प्रार्थना राय
देवरिया उत्तर प्रदेश