कामयाबी- डॉ संयोगिता सिंह

रोने से तकदीर बदलती नहीं है
वक्त से पहले रात ढलती नहीं है,
दूसरों की कामयाबी लगती है आसान
कामयाबी रास्ते में पड़ी मिलती नहीं है,

अगर जिसके हौसले हो बुलंद
कमजोरी कदमों को बांध सकती नहीं है,
सच कहते हैं जमाने के लोग
किस्मत अपने आप बनती नहीं है,
रोने से तकदीर बदलती नहीं है

अगर कामयाबी मिल जाए इत्तेफाक से
यह भी सच है कि वह पचती नहीं है,
कामयाबी पाना पानी में आग लगाना
पानी में आग आसानी से लगती नहीं है,
हाथ बांधकर बैठने से पहले सोच मेरे प्रियदर्शी,
जिंदगी अपने आप संवरती नहीं है,
रोने से तकदीर बदलती नहीं है

-डॉ संयोगिता सिंह