हौसलों के पंख- रकमिश सुल्तानपुरी

महान आदमी बने महत्व मान शान हो
मिले सहायता सदा व रोग का निदान हो

सधा हुआ हो रास्ता नवीनता बनी रहे
प्रयासरत रहें सदा लक्ष्य तक रुझान हो

समाज भाव उर धरे विकास साथ सब करें
स्वभाव स्वच्छ मन मुदित सन्तुलित ज़ुबान हो

बढ़े न क्रोध, बोध सभ्यता करे हृदय सदा
दुखी करे न हार जीत प्रीति का जहान हो

असंख्य स्वप्न पालकर के हौसलों के पंख से
जवान देश के बढ़ें अनन्त तक उड़ान हो

बने न राजनीति भित्तिका जले प्रवीणता
कि न्याय नव्य देश के लिए नया विहान हो

प्रमाण खोजना पड़े न सत्य का, सुकर्म का
पले न झूठधर्मिता, पवित्रता का भान हो

-रकमिश सुल्तानपुरी