कभी बेवजह भी मिला करो
कभी यूँ भी कुछ कहा करो
साथ न देने के लिये ही
कभी बेसबब भी चला करो
कभी मंजिलो को छोड़कर
इन रास्तों की सुना करो
इस लड़खड़ाती जिंदगी को
कभी यूँ भी तुम जिया करो
तेरे लाख खोजने से
नहीं वमिलती हैं तेरी चाहते
यह वक्त का है फैसला
इसे यूँ ही लिया करो
〰️〰️〰️
कोरे काग़ज़ को मैं
यूं ही भरता रहा
दर्द पानी बनकर
आंखों से बहता ही रहा
〰️〰️〰️
खुशियां बाँटते रहिये
मिट्टी में
मानस में ,
हर बार
बीज
मरा नही करते ।
〰️〰️〰️
जमीन को खोद कर
साँसों को गाड़ता हूँ
वक्त का मौसम आने पर
जिंदगी कोंपल बन उगेगी।
अमित कुमार मल्ल
संपर्क- 9319204423