पर्वतराज और मैना की
पुत्री जब हो गई सयानी।
नारद के कहने पर शिव को
पति रूप में पाने की ठानी।।
बैठे थे भोले शत-शत
वर्षों से अपने ध्यान में लीन।
माता ने भी देख यह खुदको
तप में कर लिया विलीन।।
निराहार रह हज़ारों वर्ष
त्याग दिया था जल-अन्न।
कठिन भक्ति से तब उन्होंने
महादेव को किया प्रसन्न।।
माला और कमण्डल वाला
स्वरूप तपश्चारिणी का।
तपस्या के आचरण से
नाम पड़ा ब्रह्मचारिणी का।।
सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश