आभासी दुनिया का विस्तार देख
असली संसार अचंभित है
देखता है वो विस्मित होकर
आज एक छोटे बच्चे को भी
अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए मोबाइल फोन चाहिए
हम सबकी अच्छी खासी दुनिया भला
आज रह गई क्यों मोबाइल फोन ही तक सीमित
यह इंद्रजाल सा हमें अपने वश में रखने की
सारी प्रलोभनों की बिसात बिछाये रखती है
मोबाइल फोन हाथ में लेकर सोचता
कर ली पूरी दुनिया अपनी मुट्ठी में
मगर इंसान की मुट्ठी में दुनिया होने के बावजूद
वो दुनिया में खुद को अकेला पाता है
मोबाइल फोन आने के पहले इंसान
इतना अकेला भी तो नहीं था
फिर भी सामाजिक प्राणी कहलाता है
अर्चना शरण