मेरे अल्फाजों में: रूची शाही

बड़ी मुश्किलों से दिल के जख्म सी रहे हैं
तुमसे जुदा हैं फिर भी तुमको ही जी रहे हैं
मर भी गए तो हमको गिला तुमसे नहीं है
जहर है ये मुहब्बत, फिर भी हम पी रहे हैं

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कभी दिन को पढ़ते तो कभी रात को पढ़ते
मुझको महसूसते और मेरी हर बात को पढ़ते
समझना हमें इतना मुश्किल भी तो नही था
मेरे अल्फाजों में अगर तुम ज़ज़्बात को पढ़ते

रूची शाही