खुद ही खुद से जुदा हो रहे हैं हम
अधूरी ख्वाहिशों की सदा हो रहे हैं हम
मुहब्बत का कर्ज चढ़ गया था हमपे
अब धीरे-धीरे अदा हो रहे हैं हम
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अक्ल के तुम इतने भी कच्चे नहीं लगते
बच्चों सी आदत है पर बच्चे नहीं लगते
सब कुछ है अच्छा इस दुनिया में मगर
तुम्हारी आँखों में आँसू अच्छे नहीं लगते
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तेरे लिए मेरी आँखों की नमी न बदलेगी
कोई पूरी भी करे तो तेरी कमी न बदलेगी
सब कुछ बदल जाएगा दुनिया में बेशक
पर तेरी दोस्ती की सूरत कभी न बदलेगी
रूची शाही