गीत लिखता हूं, ग़ज़ल लिखता हूं
लिखता हूं तेरे इश्क में, तेरा नाम
एक परी सा कुदरत ने तराशा है तुझे,
लोग करते हैं मुझको यूं ही बदनाम
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तेरे खयालों में हम, खोए रहते हैं
बोझिल निगाहों को, संजोए रहते हैं
तुम निकलते हो जब गलियों से मेरी,
मोहब्बत में पलके, भिगोए रहते हैं
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बहुत खूबसूरत है, महफिल तुम्हारी
मुश्किलों से भरी, जिंदगी है हमारी
कहे कैसे कितना इश्क है तुमसे,
तुम्हारी आंखों में बसती है जन्नत हमारी
रामसेवक वर्मा
विवेकानंद नगर, कानपुर देहात,
उत्तर प्रदेश-209111, भारत
संपर्क- 9454 34 4282