प्रेम में छले जाने से ज़िंदगी प्रचंड हो गई है।
कुछ इस क़दर टूटी है कि खंड-खंड हो गई है।।
विरक्त होके उसको किसी और की प्रीत मिल गई।
ज़िंदगी उसको तोहफा हमारे लिए दंड हो गई है।।
वो छल में जीत के भी निगाहें नीची कर गुजरती है।
और हमें प्यार में हार कर भी घमंड हो गई है।।
कहते है सच्चा प्रेम अधूरा ही रहता है अक्सर।
अब तो जमाने में भी यह सोच अखंड हो गई है।।
दिल को अब सोच समझकर ही लगाना क्योंकि।
प्रीत पाना रिस्क़ से भरी म्यूच्यूअल फंड हो गई है।।
सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश