पीपल की शीतल छांव सी होती है बेटियां
हर रोग के निदान सी होती है बेटियां
कभी पिता के अभिमान सी, परिवार के स्वाभिमान सी
कभी ममता के सम्मान सी होती है बेटियां
कभी पूजा की कलसी सी ये, आंगन की तुलसी सी ये
कभी शक्ति के स्वरूप सी, होती ये बेटियां
कभी भक्ति के अनुरूप सी, देहरी-द्वारे जलते दीप सी
सुख-शांति और समृद्धि के सीप सी, ये बेटियां
बेटी से ही यह संसार है, परिवार में आधार है
कह देती हर तूफान जो वह पतवार बेटियां
हर रस्म निभाती हैं, हर जख्म छुपाती हैं
हर बाबुल की लाडली, होती ये बेटियां
सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश