चंद्र किरण: किरण जादौन ‘प्राची’

किरण जादौन ‘प्राची’
शिक्षिका,
करौली, राजस्थान

सौन्दर्य और निर्मलता का प्रतिमान कैसा है यह शरद पूर्णिमा का शुभ्र चाँद
सौन्दर्य की पराकाष्ठा और उपमाओं का सरताज शरद पूर्णिमा का चांद
चाँद निकला कि प्रेम रस का सरस अमृत है बरसता
मन का कारक चंद्रमा, मानस के रोग दोष सब का हरता
सोलह कला का स्वामी नारियों के सोलह श्रृंगार को प्रणीत करता
औषधियों का जीवन दाता पूर्ण चंद्र सागर तक में भी तो ज्वार ले आता
जग में मनसिज जो न करता वह चंदा मन के सागर में ज्वार ले आता
चांद आसमां का भी देख धरा पर शर्माने लगे
जब यहां खिले रूप के अनेक चांद दिखने लगे
शीतल सी किरण शरत के चांद की जब छूने लगी
हौले हौले से प्यार भरी थपकी दिल को लगने लगी
चांद की कलाओं से तो अमृत बस एक रात बरसता
मेरे चांद से तो हर पल ही अमृत ले सरसता,
मन है कि सराबोर हों हम दोनों भी खुले आसमान के नीचे चंद्र ‘किरण’ में
कर दें प्रीत को अमर प्रेमरस से सिक्त कर शिव के भाल पर सजे चंद्रामृत में