अनामिका गुप्ता
अध्यापिका
हद तोड़ सरहद पर आया
आकर देखो रौब जमाया
खून खराबा इसको भाया
अमन चैन कभी रास ना आया
सीना जोरी छीना झपटी
कुटिल चालें चलता है कपटी
दोहरा चरित्र दोहरी नीतियां
जाने हैं सब चालें इसकी
सन 62 में हार गया
क्या भूल गया या याद दिलाएं
पत्थर जिस्म फौलादी सीना
शेरों सी दहाड़ें हमारी सैनाएं
छोड़ो बैर अधर्म की राहें
प्रेम शांति की राह चुनो
वरना चुटकी में मसलेंगे
कान खोलकर चीन सुनो