बहुत कम दिखते हैं
लेटर बॉक्स आजकल

बहुत खोज-खबर के बाद
कोई दिखता है
समय और हालात से हारा-सा
एकाकी खड़ा किसी कोने में

एक समय था
जब अमीर हो या गरीब
हर कोई
उसकी राह तकता था

लेटर बॉक्स
अपने अस्तित्व की अल्बम को
उलटता-पलटता है देर तक
अपने समय को याद करता है

जैसे कोई उपेक्षित बुजुर्ग
याद करता है
अपनी युवा अवस्था

*

पुरस्कार

वह सुबह से रात तक
किसी न किसी काम में डूबी रहती है

बीच-बीच में
किसी तैराक की तरह
सिर उठाकर
साँस भरती है

और फिर अपने लक्ष्य में
लीन हो जाती है

वह रोज जिम्मेदारियों का
जलधि पार करती है

लेकिन!विजेताओं की
किसी प्रशंसा, पुरस्कार-सूची में
उसका नाम नहीं होता

जसवीर त्यागी