तुम्हारी यादें ही मेरी तहरीर है
तू ही मेरे जीने की तदबीर है
तुमको ही लिखा है हर साँस में
हर ग़ज़ल में तुम्हारी ही तस्वीर है
⚫
ये इतनी दूर तक आने का खामियाजा है
जिंदगी क्या है तेरी यादों का जनाजा है
मुहब्बत के सारे पल झूठे और बासी निकले
जख्म जितने हैं दिल के सब तरोताजा है
⚫
कि एक रोज़ तुमको मिलाएंगे जिंदगी से
आँखे झुका मत लेना तुम शर्मिंदगी से
तुम मुहब्बत भी किये टाइमपास की तरह
हम दिल्लगी भी किये हैं बड़ी संजीदगी से
रूची शाही