ऐ सागर! एक बात पूछती तू बतला दे मुझे आज
इतने शोर में भी हैरान हूं कि तू इतना खामोश क्यूं है?
क्या छिपा रखी अपने दिल की गहराइयों में तमन्ना कोई
ये वो चाहत है मेरे दोस्त जिस पर किसी का जोर नहीं है
तोड़कर अपनी चुप्पी को आज इसे कागज़ ऐ नज़्र कर दे
देकर खामोशी को अपने शब्द बयां दिले हालात कर दे
तेरा खामोश अफसाना कहीं फिर अफसाना न रह जाए
डर है कहीं ऐसा हुआ तेरा पानी फिर से खारा न रह जाए
सामने होते हुए न तुम कुछ बोले न वो कुछ कह पाई है
लेकिन सच है चाहत की अथाह गहराई तुझमें ही समाई है
सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश