डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान
क्या कहूँ सूरज तेरी महिमा निराली है
मुख तेरा तेजस्वी है और लालिमा मतवाली है
सौर परिवार का मुखिया तू है
सबसे चमकीला ग्रह भी तू है
तुझसे ही पृथ्वी पर जीवन,
जग जीवन का साथी तू है
तू ही जग में चमक बिखेरे
पृथ्वी लगाए तेरे ही फेरे
तुझसे जीवन का नाता है,
रिश्ते में जग का चाचा है
समय का तू अनुमान कराए,
बढ़ने का संदेश दे जाए
रोशनी गर तेरी ना आये,
पृथ्वी बर्फ का गोला बन जाए
नभ में छाया,मन को भाया,
तेरा प्यार जगत को पाया
तुझमे है ऊर्जा अपार,
रोशनी का तू है भंडार
तू ऊर्जा से वाष्प बनाता,
बादल बन धरती पे गिराता
विटामिन डी देकर तू जग को,
बीमारियों को दूर भगाता
तेज़ धूप की किरणें देकर,
जग का मकसद पूरा करता
तेरी किरणें मरहम राहत की,
सर्दी में दे देती जीवन
खुद तपकर तू सारे जग को,
रोशन सारा जहां कर जाता
तू ना होता गर इस जग में,
आसमां का अस्तित्व ना होता,
ना ही उड़ते पंछी गगन में,
दिखती नही धरा की सुंदरता
तेरे आने की खबर ही,
आज का दिन है लाये
तू जाए तो आज भी जाये,
कल आने का संदेश दे जाए
चारों तरफ गुणगान है तेरी,
पूजा अर्चना हर जगह तेरी
संध्या के आते छुप जाता,
प्राची के संग संग तू आता
छोड़ निशानी लालिमा की,
सुबह में अपना जोश दिखाता
सूरज का संदेश यही है,
चलना, बढ़ना कर्म यही है