दुपिंदर गुजराल
एक रिश्ता बहुत ही प्यारा सा,
एक रिश्ता बहुत ही निराला सा
ये रिश्ता है तो ज़िंदगी है,
ये रिश्ता है तो सांसें है
उसके होने से मुश्किलें आसान सी लगती हैं,
उसके होने से बंद दरवाज़े भी खुलने लगते हैं
उसका एहसास ही आंगन में खुशी भर देता है,
उसका आना आंगन को महका देता है
यह रिश्ता खून का तो नहीं है,
परंतु यह रिश्ता खून से कम भी नहीं है
उसे एक गाली निकालो तो आगे से दो निकालता है,
उसे थोड़ा सा प्यार दो तो अपना सब कुछ न्योछावर कर डालता है
दूर हो या पास हो उसका एहसास ही काफ़ी है,
मुश्किल के समय उसका गले लगाना ही काफ़ी है
ये रिश्ता है दिल का,
ये रिश्ता है अपनेपन का
ये रिश्ता है तो हम है ,
ये रिश्ता है तो क्या ग़म है
ये रिश्ता है दोस्ती का,
ये रिश्ता है प्यार का
दुपिंदर गुजराल