डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान
त्याग, प्रेम सौन्दर्य,शौर्य का
राजस्थान है मेरा
रंग बिरंगी संस्कृति से
भीगा राज्य है मेरा
कण-कण जिसकी बनी कहानी,
बलिदानों का जहान है मेरा
इसी धरा से जन्मे बलिदानी,
वीरों का आंचल है मेरा
सघन वन भरी धरा यहां की,
कही झरे झरनों से पानी,
कहीं बीहड़, शुष्क ऋतु यहां की
कहीं कंटीली धरा वीरानी
गोडावण है शान यहां की
पश्चिम के रेतीले टीले की
ऊंट जहाज है शान यहां की
खेजड़ी वृक्ष पहचान यहां की
राज्य पुष्प रोहिड़ा यहां के
इनसे सजते बाग बगीचे
चिंकारा राज्य पशु यहां के,
देखें अभ्यारण्य में जाके
लोक वाद्य यंत्रों की खन-खन
भपंग दुकाको,बंशी एकतारा,
कोई बजाए ढोलक मंजीरा
तो कोई बजाए अलगोजा चिकारा
अदभुत लोक संस्कृति भी देखो,
गीत, मल्हार, चिरमी सब गाएं
तीज, गणगौर त्यौहार मनाएं
गोरी फाग बधावा गाएं
कहीं गूंजे भजन मीरा के
तो कहीं माता की भेंट यहां पे
घूमर नृत्य आत्मा है यहां के
सब झूमे मदमस्त लहरा के
दादू पंथ और रैदास यहां से
राज धरा पावन महका के
पीथल, भामाशाह, राणा से
योद्धा वीर, भक्त स्वामी यहां से
दुर्ग-दुर्ग में शिल्प सलोना,
दुर्गा जैसी यहां हर नारी
हैं हर पुरुष प्रताप यहाँ का,
आजादी का परम पुजारी
बांध भाखड़ा-चम्बल बांटे,
खुशहाली का नया उजाला
भारत की पावन धरती पर,
अपना राजस्थान निराला
अपना राजस्थान निराला