Sunday, October 13, 2024

फुरसत के पल: डॉ. निशा अग्रवाल

डॉ. निशा अग्रवाल
शिक्षाविद, पाठयपुस्तक लेखिका
जयपुर, राजस्थान

फुरसत के पल जब आते हैं,
मन में खुशियाँ बरसाते हैं।
दूर हो जातीं चिंताएँ सारी,
सपनों की बगिया महकाते हैं।

आसमान में उड़ते पंछी से,
हम भी पंख पसारते हैं।
बेफिक्र होकर झूमते हैं,
हर खुशी को अपनाते हैं।

नदी किनारे बैठें जब हम,
लहरों की गिनती करते हैं।
शांत हवा का संग साथ हो,
जीवन की धारा में बहते हैं।

कुछ मीठी यादें, कुछ प्यारे गीत,
फिर दिल में सजीव हो जाते हैं।
वक्त के हर बंधन को तोड़,
हम भी मुक्त हो जाते हैं।

फुरसत के पल अनमोल हैं,
हर बार न ये मिल पाते हैं।
आओ, इनको सहेज लें दिल में,
क्योंकि ये फिर ना लौट पाते हैं।

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