जीवन का ज्ञान: डॉ. निशा अग्रवाल

डॉ. निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान

केवल अंक नहीं, जीवन का ज्ञान ज़रूरी है,
सूनी हो यदि आत्मा, तो फिर पढ़ाई अधूरी है।
गुण अगर हो शून्य भीतर, तो डिग्री किस काम की,
चरित्रहीन विद्या तो है, बुझी हुई सी शाम की।

पुस्तक से आगे बढ़कर, जब अनुभव की बात करो,
सच्चाई, संवेदना, इंसानियत के साथ चलो।
जो गढ़े विचारों को सुंदर, वही सच्चा ज्ञानी है,
जो हो दूसरों का हितकारी, वही विश्व-विख्यानी है।

अंक तो बस आंकड़े हैं, गिनती भर का खेल हैं,
जीवन की असली शिक्षा, संघर्षों से मेल है।
जो गिरकर फिर उठते हैं, असफलता को गले लगाते,
उन्हीं के जीवन में आगे, उजियारे मुस्काते।

विज्ञान पढ़ो या गणित, पर मानवता मत भूलो,
दूसरे के दुख में रोना, यही ज्ञान की मूल हो।
डिग्रियाँ कितनी भी हों, गर विवेक नहीं पाया,
तो उस विद्या ने केवल, खोखला ही बनाया।

इसलिए कहती हूं तुमसे, केवल अंक न साधो,
ज्ञान वो लो जो ज़िंदगी को, सही दिशा में बाँधो।
मनुष्यता की ज्योति जलाओ, यही शिक्षा की मूरत है,
केवल अंक नहीं, जीवन का ज्ञान ज़रूरी है।