सुप्रसन्ना झा
बिहार
स्नेह भरे शब्दों से
एक मंगलगीत हम गाएं
शुभ-पावन दिवस भाई-बहन का
रक्षाबंधन का पर्व मनाएं
घर-आंगन में असीमित खुशियाँ
सज गई हाथों में थाली
माथे पर चंदन तिलक लगाकर
बहना ने मंगल गीत है गाई
हृदयंतर से अविरल दुआएँ
इन दृगों में यही आशाएँ
तुमसे दूर रहे विपदाएँ
हर दिन, हर क्षण हम यही मनाएँ