अभी भी कितने ही गम मेरे सिरहाने पे बैठे हैं
अभी ही तुम नए सपने सजाने को कहते हो
अभी भी काँपते है होंठ सिसकियों से मेरे
अभी ही तुम मुझको मुस्कुराने को कहते हो
सुनो कुछ वक्त दे दो ना जरा जख्मों को भरने दो
वसीयत दर्द के आहों की किसी के नाम करने दो
कि हँसेंगे साथ हम तेरे, जरा सी दे दो पर मोहलत
कुछ आँसू अब भी बाकी हैं उन्हें आँखों से उतरने दो
तुम्हें दूँ भी तो क्या कुछ अरमान रख लो तुम
ये टूटा-फूटा चाहत का सब समान रख लो तुम
तुम्हें देने को कुछ भी बचा नहीं पास अब मेरे
कि दिल टूटा हुआ है मेरा, मेरी जान रख लो तुम
रूची शाही