दूर तुम भी, दूर में भी, ये कैसी घड़ी है आई।
आज कल मेरे यारा, तेरी याद बहुत है आई।।
कुछ दिन गए है बीत, कुछ और सेह जाना है।
हमसफ़र सा वक्त वहीं, लौट फिर से आना है ।।
ये पनघट, गलियां,गांव, सूनी सी है अमराई।
आज कल मेरे यारा, तेरी याद बहुत है आई।।
कभी दूर ना रह सके, एक दूजे के बिन कभी।
वक्त है ऐसा आया, शहर गावं वीरान सभी।
अच्छे दिनों की वक्त ने, वक्त की पहचान है कराई।
आज कल मेरे यारा, तेरी याद बहुत है आई।।
बच्चे बूढ़े माँ, बाप सब, मेरी राह निहारे।
कहते हैं अब आजा बेटा, मेरे राज दुलारे।
मेरी जरूरत है वतन को, ऐसी घड़ी है आई।
आज कल मेरे यारा, तेरी याद बहुत है आई।।
यारी भूला,नाता भूला, भूल गया जग सारा।
अपनों की मुस्कान देखने, खुद को हूं में हारा।
संसार यही, प्यार यही, ऐसी मिली है तन्हाई।
आज कल मेरे यारा, तेरी याद बहुत है आई।।
ना बहाना तुम अश्कों को, दिल को मना लेना।
जब मिलेगा साथ तुम्हारा, मन भर गले लगा लेना।
वही संग है, वहीं रंग है, दिल ये नहीं है हरजाई।
आज कल मेरे यारा, तेरी याद बहुत है आई।।
संग तेरे हसतें-हसातें, नहीं रहा वो साथ।
देख नाग ये वक्त है आया, जग में नहीं कोई साथ।
फूलों से वो बच्चों की, किलकारियां दे सुनाई।
आज कल मेरे यारा, तेरी याद बहुत है आई।
दूर तुम भी दूर में भी, ये कैसी घड़ी है आई ।
आज कल मेरे यारा, तेरी याद बहुत है आई।।
कालीचरण नाग
कुड़ारी, सिवनी
मध्य प्रदेश