रूची शाही
सुनो किसी रात जब नींद न आए तुमको
तो सोचना मुझे तुम
कि सोए हो मेरी गोद में सिर रखकर
और मैं तुम्हारे बालों को उंगलियों से सहला रही हूं
तुम्हारे माथे को चूमते हुए कहूंगी तुमसे
मैं हूं तुम्हारे पास जब तक तुम्हारी पलकें
नींद से बोझिल नहीं हो जाती
किसी दिन अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी से ऊब कर
आकर रख देना अपना सिर मेरे कांधे पर
और कह देना कि बहुत थक गया हूं
मैं सुस्ताने के लिए दूंगी तुम्हें अपनी सांसें
तुम्हारी हथेलियों को अपने हाथों में रखकर
दूंगी तुम्हें अपने स्नेह की गर्माहट
मैं बस सुकून बनना चाहती हूं तुम्हारा
तुम कहते रहना और मैं सुनती रहूंगी
तुम हँसते रहना और मैं देखती रहूंगी
तुम्हारी मुस्कान को अपनी आँखों में रख लूंगी छिपाकर
कभी तुम उदास लगे तो वापिस करूंगी तुम्हें
क्योंकि मैं तुम्हें मुस्कुराता देखना चाहती हूं हरदम