मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियां लगातार अनुकंपा आश्रितों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। अनुकंपा आश्रितों को नियुक्ति देना तो दूर लगातार अड़ंगेबाजी लगाकर नियुक्ति नहीं देने के बहाने खोजती रहती हैं। वहीं बिजली कंपनियों के अधिकारियों के द्वारा अनुकंपा आश्रितों के लिए सरल अनुकंपा नीति बनाने की बजाए, अनुकंपा नियुक्ति नीति में इतने पेंच फंसा दिए गए हैं, कि ऐसा प्रतीत होता है अधिकारी किसी भी आश्रित को नौकरी ही नहीं देना चाहते।
गौरतलब है कि मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा 13 सितंबर को एक आदेश जारी कर दिवंगत बिजली कर्मियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने में बड़ी राहत की घोषणा की गई थी। आदेश के अनुसार यदि दिवंगत बिजली कर्मी के परिवार का आश्रित सदस्य 12वीं कक्षा उत्तीर्ण है, तो उसे कार्यालय सहायक के तृृतीय श्रेणी के पद पर नियमानुसार अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कर दी जावेगी तथा इस पद हेतु आवश्यक योग्यता हासिल करने के लिए उसे तीन वर्षो का समय प्रदान किया जावेगा।
जबकि पहले आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति हेतु आवश्यक योग्यता प्राप्त करने के लिए तीन वर्षो का समय दिया जाता था तथा योग्यता प्राप्त करने के बाद आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाती थी। साथ ही मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने दावा किया था कि प्रदेश की तीनों वितरण कंपनियों में यह सुविधा सर्वप्रथम पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा प्रदान की जा रही है। लेकिन कंपनी का ये दावा एक हफ्ते में ही फुस्स हो गया और ब्यूरोक्रेट तथा टेक्नोक्रेट की लड़ाई में मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को अपना आदेश वापस लेना पड़ा।
विद्युत सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सीजीएम-एचआर विभाग से जारी इस आदेश पर पावर मैनेजमेंट कंपनी के टेक्निकल कैडर के एक आला अधिकारी ने ये कहते हुए आपत्ति लगा दी कि ये आदेश जारी करने के पहले उनसे पूछा क्यों नही गया? मैनेजमेंट कंपनी के अधिकारी के आपत्ति करने के बाद पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रशासनिक कैडर के अधिकारियों को पीछे हटना पड़ा और अपना आदेश वापस लेना पड़ा। उल्लेखनीय है कि विद्युत कंपनियों में ब्यूरोक्रेट तथा टेक्नोक्रेट की लड़ाई जगजाहिर है। लेकिन इस लड़ाई में बेचारे अनुकंपा आश्रितों के साथ कुठाराघात हो गया।
अपने नए आदेश में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने कहा है कि संचालक मंडल की 103वीं बैठक दिनांक 24.08.2022 में पारित संकल्प क्र. 103.2.1 के परिपालन में सामान्य प्रशासन विभाग, मप्र शासन, भोपाल के द्वारा पत्र क्रमांक 3-12/2013/1/3 दिनांक 29.09.2014 से जारी अनुकंपा नियुक्ति नीति की कंडिका 6.5 के अनुरूप कार्यालय सहायक श्रेणी-तीन (नियमित/संविदा) के पद हेतु अनुकंपा नियुक्ति के लिये शैक्षणिक अर्हता निर्धारित करते हुये कंपनी की अनुकंपा नियुक्ति नीति-2018 की कंडिका 5.4 में संशोधन का आदेश जारी किया गया है। उपरोक्त जारी संशोधन के संबंध में पूर्ववर्ती मप्र राज्य विद्युत मंडल की सभी उत्तरवर्ती कंपनियों के साथ कुछ बिन्दुओं पर समरूपता हेतु मानव संसाधन समिति से चर्चा की जा रही है, अतएव आगामी आदेश तक संदर्भित आदेश के संबंध में कार्यवाही न की जाये।
वहीं इस पूरे मामले में मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि बिजली कंपनियां अनुकंपा आश्रितों के साथ हमेशा अछूत व्यवहार करती है। बिजली कंपनियों में सन 2014 में लागू की गई नई अनुकंपा नीति में भी कंपनी प्रबंधन ने मौतों का बंटवारा करते हुए, हजारों अनुकंपा आश्रितों को नियुक्ति से वंचित कर दिया, जो आज भी अभावग्रस्त जीवन जीने के लिए विवश हैं। उन्होंने कहा है कि प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों को सरल अनुकंपा नियुक्ति नीति बनाकर सभी अनुकंपा आश्रितों को बिना शर्त तत्काल नियुक्ति दी जानी चाहिए।