एमपी की बिजली कंपनियों में मैदानी इलाकों में पदस्थ तकनीकी कर्मचारियों को अवकाश के दिन भी ड्यूटी पर बुलाना अधिकारियों के लिए सामान्य बात है। 8 घंटे की शिफ्ट के बदले 14 से 16 घंटे तक ड्यूटी करने वाले सभी श्रेणी के तकनीकी कर्मचारियों के नसीब में एक अदद साप्ताहिक अवकाश भी नहीं है। यहां तक कि प्रमुख और बड़े त्योहारों पर भी तकनीकी कर्मचारियों को अवकाश नहीं मिलता।
वहीं अधिकारियों द्वारा अपनी साहबी का रौब दिखाने के लिए बहुत जरूरी नहीं होने के बावजूद तकनीकी कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश के दिन भी ड्यूटी पर उपस्थित रहने के निर्देश जारी कर दिए जाते हैं और कई बार उन्हें बेवजह परेशान भी किया जाता है। विद्युत सूत्रों की माने तो साप्ताहिक अवकाश के दिन भी छुट्टी नहीं मिलने से तकनीकी कर्मचारियों में काफी आक्रोश उपज रहा है।
जिसे देखते हुए मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन के द्वारा मैदानी अधिकारियों को आदेशित किया है कि तकनीकी कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से घोषित अवकाश के दिनों में कार्य पर ना बुलाया जाए। कंपनी ने अपने आदेश में अधिकारियों से कहा है कि आपातकालीन स्थिति एवं अतिआवश्यक श्रेणी वाले कार्य न होने की स्थिति में तकनीकी कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से कार्य पर ना बुलायें।
इन दिनों प्रदेश में भीषण गर्मी का दौर जारी है। ऐसे मौसम में अधिकारी तो अपने एयर कंडीशनर कार्यालय में बैठे रहते हैं, लेकिन मैदानी इलाकों में पदस्थ तकनीकी कर्मचारियों को एक ढंग का कार्यालय भी उपलब्ध नहीं है। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति ग्रामीण इलाकों में है, जहां पेड़ों की छांव ही तकनीकी कर्मचारियों का सहारा है। लू और तेज धूप के बीच कार्य करने वाले इन तकनीकी कर्मचारियों को भी एक अवकाश मनाने का हक है।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के आदेश के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में मध्य क्षेत्र कंपनी के द्वारा शनिवार को अवकाश घोषित किया गया है। जिस कारण दैनिक कार्य के घंटों में वृद्धि की गई है, किंतु वास्तविकता यह है कि अधिकारी आज भी वही पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं, पुराने समय के अनुसार ही कार्य कर रहे हैं और शनिवार की छुट्टी भी मना रहे हैं।
तकनीकी कर्मचारियों का कहना है कि इसके साथ ही राष्ट्रीय त्योहार के अवकाश, घोषित त्योहारों के अवकाश, सामान्य अवकाश के दिनों में अधिकारी तो अपने घरों पर रहते हैं, किंतु कर्मचारियों के ऊपर दबाव बनाकर उन्हें कार्य पर उपस्थित होने हेतु मजबूर किया जाता है और यदि कर्मचारी नियमों का हवाला देते हैं तो उन पर वेतन कटौती, कारण बताओ सूचना पत्र एवं ट्रांसफर की धमकी दी जाती है।
ग्रामीण क्षेत्रों की बात तो दूर है भोपाल जैसे शहर में अधिकांश कार्यालयों में भी यही नियमावली लागू होने से तकनीकी कर्मचारी मानसिक रूप से परेशान हैं, जबकि इनमें अधिकांश ऐसे कार्यालय भी शामिल हैं, जिनके तकनीकी कर्मचारियों का सीधे उपभोक्ताओं से कोई सरोकार नहीं फिर भी नियम के विरुद्ध उन्हें कार्यालयों में बुलाया जाता है।
जहां एक ओर कंपनी के अधिकारी कर्मचारियों का शारीरिक एवं मानसिक शोषण कर अपनी प्रोग्रेस अव्वल दिखा रहे हैं तो वही तकनीकी कर्मचारी बिजली विभाग में अपने आपको शोषित और पीड़ित महसूस कर रहे हैं। अब देखना ये है कि अधिकारी कंपनी प्रबंधन के आदेश के बाद तकनीकी कर्मचारियों को छुट्टी के दिनों में अनावश्यक रूप से परेशान करना बंद करते हैं या कि अपनी हठधर्मिता जारी रखते हुए पुराने ढर्रे पर ही चलते है।