एमपी की बिजली कंपनियां अपनी तमाम कोशिशों के बाद भी उपभोक्ताओं को गलत बिजली बिल दिए जाने की समस्या पर अंकुश नहीं लगा पा रही है। जिसके बाद मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक गणेश शंकर मिश्रा ने मैदानी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि तत्काल वितरण केन्द्र स्तर पर गलत विद्युत देयकों के निराकरण के लिए समितियां गठित करें।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी मैदानी महाप्रबंधक अपने जिला कलेक्टर से समन्वय स्थापित कर समितियों का गठन सुनिश्चित कराएंगे। गौरतलब है कि राज्य शासन के निर्देशानुसार प्रत्येक जिले में विद्युत वितरण कम्पनी के वितरण केन्द्र स्तर पर गलत देयकों के निराकरण के लिये समिति का पुनर्गठन किया जा रहा है। समिति में विद्युत वितरण कम्पनी के प्रबंधक (वितरण केन्द्र अथवा जोन के प्रभारी कनिष्ठ या सहायक यंत्री) सदस्य, संयोजक होंगे।
समिति में जिले के प्रभारी मंत्री द्वारा 6 अशासकीय सदस्य नामांकित किये जायेंगे। इनमें एक जनपद पंचायत के सदस्य, एक नगरीय क्षेत्र ( यदि है तो ) के पार्षद, एक कृषि अथवा व्यवसायिक उपभोक्ता, एक घरेलू उपभोक्ता और 2 महिला सदस्य शामिल होंगे। समिति प्रत्येक माह के दूसरे मंगलवार को 12 बजे वितरण केन्द्र या जोन पर बैठक कर प्राप्त आवेदनों पर विचार कर अनुशंसा करेगी। इस दिन अवकाश होने पर समिति अगले कार्य दिवस पर बैठक करेगी। बैठक का कोरम कम से कम तीन सदस्य का होगा।
गलत देयकों के निराकरण संबंधी आवेदन प्राप्त होने पर विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंधक के माध्यम से इन्हें समिति के समक्ष रखा जायेगा। समिति की अनुशंसा के 3 दिन के भीतर सदस्य संयोजक द्वारा प्रकरण कंपनी के उप महाप्रबंधक अथवा कार्यपालन यंत्री को प्रस्तुत कर दिया जायेगा।
विद्युत वितरण कंपनी के डेलीगेशन ऑफ पॉवर अनुसार प्राधिकृत अधिकारी द्वारा आवश्यकतानुसार बिल सुधार की कार्यवाही 7 दिन के भीतर पूरी कर उपभोक्ता को सुधरा हुआ बिल जारी होगा और समिति को इसकी सूचना भी दी जाएगी। प्राधिकृत अधिकारी द्वारा की गयी कार्यवाही से समिति के संतुष्ट न होने पर मामला अधीक्षण अभियंता अथवा महाप्रबंधक को भेजा जायेगा। अधीक्षण अभियंता अथवा महाप्रबंधक का निर्णय अंतिम होगा।