मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों के कार्मिक त्योहारों के दौरान अत्यधिक दुखी और मायूस हो जाते हैं। इसका सिर्फ एक ही कारण है कि वे हर त्योहार में अपने परिजनों से सैकड़ों मील दूर अकेले त्योहार मनाने के लिए विवश हैं, क्योंकि बिजली कंपनियों की स्पष्ट कंपनी टू कंपनी ट्रांसफर नीति नहीं होने के कारण उन्हें अपने गृहनगर में ट्रांसफर की सुविधा नहीं मिल पा रही है। वहीं अगर परिजनों के साथ त्योहार मनाने के लिए कोई संविदा कार्मिक अवकाश की अर्जी देता है तो अधिकारी उसकी सेवाओं को अतिआवश्यक और स्टाफ की कमी का बहाना बनाकर उसका आवेदन अस्वीकृत कर देते हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि विद्युत कंपनियों का प्रबंधन ही नहीं चाहता कि बिजली कार्मिक अपने परिजनों के साथ त्योहार मनाएं।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में पिछले विगत वर्षों में कई बार प्रदेश के मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री एवं प्रमुख सचिव ऊर्जा को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि संविदा कर्मचारियों के लिए स्थानांतरण नीति बनाई जावे। जिससे एक कंपनी से दूसरी कंपनी में स्थानांतरण हो सके जैसे कि संविदा कर्मचारी पूर्व क्षेत्र कंपनी में निवास करता है और नौकरी करने के लिए पश्चिम क्षेत्र कंपनी में जाता है, उसकी दूरी लगभग 500 किलोमीटर की हो जाती है। उसको आने जाने में लगभग चार दिन लग जाते हैं। विद्युत कंपनियों में कर्मचारियों की अत्यधिक कमी होने की वजह से अधिकारी उन्हें एक सप्ताह का अवकाश नहीं देते हैं। इस समस्या को समाप्त करने के लिए संघ द्वारा लगातार एक कंपनी से दूसरी कंपनी में स्थानांतरण करने की नीति बनाए जाने की मांग कर रहा है।
संघ के राम समझ यादव, शंभू नाथ सिंह, असलम खान, राम केवल यादव, दिनेश, अजय कश्यप, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, विनोद दास, पीके मिश्रा, इंद्रपाल सिंह, लाखन सिंह राजपूत, विपतलाल विश्वकर्मा, दशरथ शर्मा, शिव बालक, अशोक पटेल, राजेश डोंगरे आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि जल्द से जल्द संविदा कर्मचारियों के लिए एक कंपनी से दूसरी कंपनी में स्थानांतरण नीति बनाई जाए।