मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों के अमानवीय रवैये से त्रस्त अनुकंपा आश्रित अब न्याय पाने हाई कोर्ट की शरण में पहुंच गए हैं। क्योंकि लगभग 22 वर्षों से बिजली कंपनियों में हजारों आश्रितों की अनुकंपा नियुक्ति पर अभी तक रोक जारी है, इस दौरान सभी अनुकंपा आश्रितों को नियुक्ति देने की बजाए बिजली कंपनियों के प्रबंधन ने मौतों का बंटवारा करते हुए विभाजनकारी अनुकंपा नीति लागू कर दी, जिससे आज भी हजारों अनुकंपा आश्रित नियुक्ति से वंचित हैं।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि विद्युत मंडल के द्वारा 1 सितंबर 2000 से वित्तीय स्थिति खराब होने का हवाला देकर अनुकंपा नियुक्ति देने पर रोक लगा दी गई थी।
उन्होंने कहा कि विद्युत मंडल की सभी उत्तर भर्ती कंपनियों में वर्ष 1998 से 2012 तक अनुकंपा नियुक्ति के लगभग 2200 प्रकरण लंबित हैं। इन प्रकरणों में जिन बिजली कर्मियों की सेवा के दौरान प्राकृतिक कारणों से मृत्यु हो गई थी, उनके आश्रितों को आज तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि आज भी उनके परिवार के सदस्य अनुकंपा नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं, इन आश्रितों में अधिकांश तकनीकी कर्मचारी संघ के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि तकनीकी कर्मचारी संघ ने मृत बिजली कर्मियों के अनुकंपा आश्रित परिजनों को बुलाकर बैठक ली और इसमें तय किया गया कि अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की जाए। इसके बाद संघ के सदस्यों के द्वारा अनुकंपा नियुक्ति के लिए बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर की जा रही हैं।