ओएफके सरकारी समिति खमरिया जबलपुर जो कि मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी प्राथमिक सहकारी समिति में से एक है के प्रबंध समिति का चुनाव 2 वर्ष पूर्व निर्विरोध संपन्न हुए थे। इतनी बड़ी संस्था का चुनाव निर्विरोध संपन्न होना एक ऐतिहासिक कार्य था, किंतु उक्त चुनाव के समय भी एक बाहरी व्यापारी लगातार सक्रिय रहा और सोसाइटी पर अप्रत्यक्ष कब्जा करने के लिए हर दांव आजमाता रहा, फिर भी उसे सफलता नहीं मिली एवं चुनाव सर्वसम्मति से संपन्न हो गए थे।
ऐसे ही तत्वों द्वारा प्रबंधकारिणी के कुछ सदस्यों को बरगला कर समिति के अध्यक्ष के खिलाफ बिना किसी जायज आरोप के पद से हटाने का पत्र उप पंजीयक जबलपुर को दिया गया एवं षडयंत्रपूर्वक समिति के विरुद्ध गैर कानूनी नोटिस जारी कराया गया।
समिति के अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है एवं नियमों में एक प्रक्रिया निर्धारित है इसे नजरअंदाज करते हुए नोटिस जारी कराना सोसाइटी की साख खराब करने की साजिश का प्रतीक है। सहकारिता विभाग के अधिकारी अनुचित दबाव में आकर नियम विरुद्ध कार्य को बढ़ावा दे रहे हैं। जो सहकारिता की मूल धारणा के प्रतिकूल है।
भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र तिवारी, जेसीएम टू के सदस्य अरुण दुबे, श्रमिक नेता आनंद शर्मा, रूपेश पाठक, राजेंद्र चडारिया, अमित चौबे आदि ने आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी विधि विरुद्ध पत्र निरस्त करने की मांग की है एवं विभाग के अधिकारियों द्वारा समिति के विरुद्ध साजिश को बढ़ावा देने की निंदा की है।
श्रम संगठनों द्वारा इस संबंध में पंजीयक सहकारी समितियां विंध्याचल भवन भोपाल, सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदोरिया तथा मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन को संपूर्ण प्रकरण एवं साजिश की जानकारी युक्त पत्र देते हुए शीघ्र कार्यवाही की मांग की है।
इसी तारतम्य में गुरुवार 25 नवंबर को उपायुक्त कार्यालय जबलपुर में ज्ञापन सौंपा जाएगा एवं अनुचित गतिविधियों को प्रोत्साहन देना बंद करने की मांग की जाएगी। उपरोक्त के बावजूद विभाग द्वारा अनुचित कार्यवाही बंद न करने पर, कानूनी एवं आंदोलनात्मक कार्यवाही बड़े स्तर पर की जाएगी।ताकि दबाववश एवं पद का दुरुपयोग कर सहकारी समितियों को नुकसान पहुंचाने की प्रवृति पर रोक लग सके।