मप्र मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी मुख्यालय सहित भोपाल एवं ग्वालियर रीजन ऑफिस, 14 सर्किलों के 52 डिवीजन व 350 वितरण केन्द्र-जोन कार्यालयों में कार्यरत करीब नौ हजार बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों को मैन पावर सर्विस प्रोवाइडर ठेकेदारों द्वारा पिछले 3 माह से लेकर 12 माह का बोनस अब तक भुगतान नहीं किया गया है। ठेकेदारों व बिजली कंपनी की लड़ाई में आउटसोर्स ठेका कर्मचारी आर्थिक रूप से पिस रहे हैं।
मप्र बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव का कहना है कि भारत सरकार के वेजेस कोड 2019 एवं बोनस एक्ट 1965 के तहत आउटसोर्स ठेका कर्मियों को बोनस की पात्रता है। सभी मैनपावर टेंडर की शर्तों के मुताबिक ठेकेदार द्वारा आउटसोर्स को बोनस समय पर नहीं दिये जाने पर 25 रुपये प्रति कर्मचारी प्रतिदिन के अनुपात में बिजली कम्पनी को ठेकेदार से पैनाल्टी वसूल कर ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड करना चाहिए, पर अधिकांश जगह इसका पालन नहीं हो रहा है।
भारत सरकार के राजपत्र के अनुसार ठेकेदार जब बोनस नहीं दे तो उस स्थिति में बिजली कंपनी बोनस देने हेतु बाध्यकारी है, पर वह भी बोनस देने से कतरा रही है। मुरैना सर्किल में ठेकेदार ने जून माह के वेतन का भुगतान अब तक नहीं किया है, बोनस नहीं देने वाले डिफॉल्टर मैनपावर ठेकेदार ग्वालियर सिटी व रायसेन सर्किल में सिग्मा इंफोटेक, संचा-संचा वृत्त ग्वालियर व सीहोर सर्किल में ईगल हंटर, शिवपुरी व भिण्ड सर्किल में वान्या सिक्योरिटी, राजगढ़ सर्किल में रतन एम्पोरियम व ट्रिक डिडेक्टिव, मुरैना में रतन एम्पोरियम, सिटी सर्किल भोपाल में ओरियन सॉल्यूशन संचा-संचा वृत्त भोपाल में आर्यन सिक्योरिटी, बैतूल में डीजी नखरानी, दतिया-गुना-अशोक नगर सर्किल में राजदीप इंटरप्राइजेस, चीफ इंजीनियर ग्वालियर रीजन ऑफिस में खाक सिक्योरिटी, एमडी ऑफिस मुख्यालय एवं चीफ इंजीनियर भोपाल रीजन ऑफिस व विदिशा सर्किल में सेंगर सिक्योरिटी ठेकेदार बिजली आउटसोर्स कर्मियों को पात्रता के बावजूद आनाकानी व टालमटोल कर बोनस भुगतान नहीं कर रहे हैं।
मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी के राजगढ़ व शिवपुरी में 12 माह से, सिटी सर्किल भोपाल व भिण्ड में 9 माह से, सिटी सर्किल ग्वालियर व बैतूल में 6 माह से, संचा-संचा वृत्त ग्वालियर, गुना, अशोक नगर, दतिया, मुरैना, सीहोर, विदिशा, रायसेन एवं एमडी हैड ऑफिस व भोपाल-ग्वालियर रीजन ऑफिस के आउटसोर्स कर्मियों को 3 माह से बोनस नहीं मिला है।
बिजली कंपनी से मैन पावर आउटसोर्सिंग एजेंसी का ठेका लेते समय ठेकेदारों ने टेंडर की सभी शर्तों के पालन हेतु अपनी लिखित सहमति दी थी। सभी सर्किल व ऑफिसों के टैंडरों में 8.33 प्रतिशत की दर से आउटसोर्स कर्मियों को बोनस देने का प्रावधान है, पर अब ठेकेदार उससे मुकर रहे हैं। यहाँ तक कि बिजली कंपनी मुख्यालय के मुख्य महाप्रबंधक (क्रय) ने पुराने एलओए के आधार पर हुये पुराने एग्रीमेंट की जगह दोबारा बिजली कंपनी से एग्रीमेंट करने के निर्देश दिये, पर ठेकेदारों ने इन निर्देशों की अवहेलना कर दोबारा एग्रीमेंट नहीं किये। इन निर्देशों का उल्लंघन कर बोनस नहीं देने वाले ठेकेदारों से बिजली कंपनी ने 25 रुपये प्रति कर्मचारी प्रतिदिन के अनुपात में पैनाल्टी तक नहीं वसूली है। बोनस नहीं देने पर भी बिजली कंपनी खामोश है।
श्रम मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 7 जुलाई 2020 को जारी राजपत्र के पृष्ठ 15 के मुताबिक यदि धारा 26 के तहत ठेकेदार 8.33 प्रतिशत की दर से आउटसोर्स ठेका कर्मियों को बोनस देने में विफल व असफल रहता है तो उस दशा में संबंधित प्रतिष्ठान यानि बिजली कंपनी बोनस भुगतान करने हेतु बाध्यकारी है। जब बिजली कंपनी में ठेकेदारों ने 3 माह से 12 माह तक का बोनस कर्मचारियों को नहीं दिया, तब भी बिजली कंपनी केन्द्रीय राजपत्र के अनुरूप आउटसोर्स कर्मियों को बोनस देने से हिचक रही है एवं बोनस देने की जिम्मेदारी नहीं निभा रही है।
बोनस दिये जाने को लेकर आउटसोर्स संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव ने कहा कि जिस प्रकार पूर्व क्षेत्र बिजली कंपनी में वर्ष 2019 में 8 हजार आउटसोर्स को वेतन व बोनस ठेकेदार द्वारा नहीं देने पर बिजली कंपनी ने स्वयं अपनी ओर से वेतन-बोनस दिया था, वही प्रक्रिया मध्य क्षेत्र कंपनी में अपनायी जाए, अन्यथा विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में बिजली आउटसोर्स कर्मी भोपाल में विशाल प्रदर्शन करेंगे।