मध्य प्रदेश में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के चिकित्सकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उपस्थित 1 जनवरी 2023 से सार्थक एप के माध्यम से दर्ज किये जाने हेतु निर्देश दिये गये हैं, परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ उपस्वास्थ्य केन्द्र ऐसे भी हैं जहां इंटरनेट का अभाव है, जहां से उपस्थिति दर्ज करना संभव नहीं है।
वहीं पैरामेडीकल स्टाफ आपातकालीन सेवाओं के अंतर्गत आने के कारण 24 घंटे सेवाओं को देने के लिए बाध्य होना पड़ता, जिससे इनकी कार्य अवधि निर्धारित नहीं रहती है। वहीं आपातकालीन स्थितियों में चिकित्सकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को फील्ड का भ्रमण करना होता है, जिससे स्टाफ को एप में उपस्थिति दर्ज करने में ही घंटों लग जाएंगे। जिसे देखते हुए चिकित्सक, अधिकारी एवं कर्मचारी असमंजस की स्थिति में हैं कि मरीजों का उपचार कर सेवा दें या अपनी उपस्थिति एप में दर्ज करें।
जागरूक अधिकारी कर्मचारी संयुक्त समन्वय कल्याण समिति मध्यप्रदेश ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि स्वास्थ्य विभाग जो कि आपातकालीन सेवाओं की प्रदायगी सुनिश्चित करता है, ऐसे विभाग में कार्यरत चिकित्सकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के ड्यूटी समय की अनिश्चितता एवं परिवर्तनशीलता तथा विस्तृत कार्यक्षेत्र होने के कारण इसे स्वास्थ्य विभाग में लागू नहीं किया जाये।
स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक, अधिकारी एवं कर्मचारी ज्यादातर फील्ड क्षेत्र में सेवायें प्रदान करते हैं, जिससे उनकी प्रातःकालीन एवं सायंकालीन सेवाओं का स्थान एक समान नहीं रहता, जिससे एप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज और एप से लागआउट होना संभव नहीं है। कुछ जिलों में एप में उपस्थिति दर्ज करने की जल्दबाजी में दुर्घटनाएं हुई है, जिसमें कर्मचारियों एवं स्टाफ की मृत्यु भी हो चुकी है। अतः संघ ने ज्ञापन के माध्यम से अनुरोध किया है कि एप को तत्काल निरस्त किया जाये और समस्त चिकित्सकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति पूर्ववत ही दर्ज की जाये।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, इंद्रजीत मिश्रा, सतीश देशमुख, अंकित चौरसिया, प्रीतोष तारे, आदित्य जायसवाल, विकास श्रीवास्तव, कीर्तीमान सिंह, राजीव मिश्रा, योगेश कपूर, पंकज जायसवाल, तुषरेन्द्र सिंह, नीरज कौरव, जवाहर लोधी, हेमन्त गौतम, महेन्द्र चौधरी, अमित गौतम, शैलेन्द्र दुबे, दिनेश वर्मा, रामकृष्ण तिवारी, संदीप चौबे, रितुराज गुप्ता आदि ने प्रमुख सचिव के नाम सौंपे गये ज्ञापन में मांग की है कि सार्थक एप को तकनीकी समस्या को देखते हुए तत्काल रोक लगाई जाये।