मप्र मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत भिंड में ईओडब्ल्यू की टीम ने कंपनी के जूनियर इंजीनियर को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा। जानकारी के अनुसार जूनियर इंजीनियर ने निजी अस्पताल के बिल संबंधी मामले में पचास हजार की रिश्वत की मांग की थी। अस्पताल के मैनेजर की शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने उसे रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ लिया।
जानकारी के अनुसार भिंड में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के वाटर बॉक्स कार्यालय में पदस्थ जूनियर इंजीनियर अरुण सैनी ने कामाख्या मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल पर बिजली चोरी का आरोप लगाते हुए 50 हजार रिश्वत देने का दबाव बना रहा था। इसके बाद उपभोक्ता की ओर से मामले की शिकायत ईओडब्ल्यू से की गई, जिसके बाद आरोपी को ईओडब्ल्यू की टीम ने आज जाल बिछाकर रंग ेहाथों दबोच लिया।
बताया जा रहा है कि अस्पताल के संचालक आशुतोष शर्मा ने बताया कि भिंड के बिजली कार्यालय में जूनियर इंजीनियर पद पर पदस्थ अरुण सैनी पिछले दिनों उनके अस्पताल पहुंचे थे। उनके हाथ में एक बिल था, जिसका हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ये आपके अस्पताल का बिल बकाया है। मैंने बिल देखा तो वो कामाख्या अस्पताल का ही था, जिसकी राशि 1 लाख 24 हजार के करीब थी। इस पर मेरी ओर से बिल की बकाया राशि जमा करने की स्वीकृति दे दी गई।
अस्पताल संचालक आशुतोष शर्मा के अनुसार क्योंकि बिल उन्हीं के अस्पताल का था, जिसपर उनकी ओर से तत्काल जमा करने की बात कही गई, लेकिन जेई अरुण सैनी ने उन पर चोरी की बिजली से अस्पताल की लाइट जलाने का आरोप लगा दिया। आशुतोष के अनुसार जेई को समझाने का प्रयास किया कि जब मैं इसका बिल जमा कर रहा हूं तो चोरी की बिजली जलाने की बात कहां से आ गई। इसपर जेई द्वारा कुछ तस्वीरों का हवाला देते हुए कहा गया कि अगर 50 हजार रुपए दे देते हो तो ठीक, वरना संबंधित तस्वीरों के जरिए तुम्हारे खिलाफ ढाई लाख रुपए बिजली चोरी का केस दर्ज करा दिया जाएगा।
इसके बाद अस्पताल संचालक आशुतोष शर्मा ने मामले की शिकायत ईओडब्ल्यू ग्वालियर पुलिस अधीक्षक से की गई. भिंड के बिजली कंपनी के कार्यालय में कार्यरत जूनियर इंजीनियर अरुण सैनी उनसे 50 हजार रुपए रिश्वत की मांग कर रहा है। मामले को गंभीरता से लेते हुए ग्वालियर ईओडब्ल्यू की एक टीम गठित की गई। साथ ही आरोपी जूनियर इंजीनियर की घेराबंदी कर गुरुवार को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। ईओडब्ल्यू टीम द्वारा जूनियर इंजीनियर अरुण सैनी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है।