एमपी में कई स्थानों पर पटवारियों द्वारा गिरदावरी में मूंग की जगह अन्य फसलें चढ़ा दी गई हैं, जिससे किसान अपना पंजीयन नहीं करवा पा रहे हैं। इस संबंध में किसानों की ओर से भारत कृषक समाज द्वारा जबलपुर कलेक्टर को सामूहिक आवेदन भेजा गया है। जिसमे निवेदन किया गया है कि बड़ी मुश्किल से तो सरकार ने मूंग, उरद खरीद की घोषणा की, जबकि अधिकांश किसान घाटे में अपना उत्पाद बेच चुके।
अब जो थोड़े बहुत किसान बचे हैं, वे भी गिरदावरी की गड़बड़ियों की चपेट में आते दिख रहे हैं, वे भी शायद अपना उत्पाद नहीं बेच पाएंगे। पटवारियों की मनमर्जी का शिकार किसान, दर-दर भटकने मजबूर हैं। उन्हें फुटबाल बना दिया गया है।
कृषक समाज के केके अग्रवाल ने बताया कि यह समस्या आज की नहीं है, घर बैठे पटवारियों द्वारा की जा रही गिरदावरी का खामियाजा हमारे किसान भाई पहले से भुगतते आ रहे हैं। इस पर कोई लगाम नही लगाई जा सकी। कलेक्टर से निवेदन किया गया है कि इसकी जांच कराई जाए व दोषियों को सजा जरूर दी जाए। जब तक दोषियों को सजा नही दी जाएगी, किसानों के साथ ज्यादती व उनका शोषण बदस्तूर जारी रहेगा।
केके अग्रवाल ने कलेक्टर से तत्काल गिरदावरी में सुधार कर किसानों के पंजीयन करवाने का आग्रह किया गया है। साथ ही पंजीयन की तिथि बढ़ाये जाने की भी मांग की गई है। वहीं जिला प्रशासन से प्राप्त सूचना अनुसार कलेक्टर ने तहसील के एसडीएम एवं तहसीलदारों को सुधार हेतु निर्दश दे दिए हैं।
वहीं किसानों का कहना है कि इसमे भी उन्हें बड़े पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। पटवारी के साथ अन्य अधिकारियों के बार बार चक्कर लगाने पड़ रहे है, उनकी सुनवाई नही हो रही है। गिरदावरी सुधरवाने में किसानों के पसीने छूट रहे हैं। उन्हें चिंता है कि पंजीयन की समय सीमा खत्म हो जाएगी व उनके सुधार नही हो पाएंगे।
कृषक समाज के के के अग्रवाल ने किसानों से कहा है कि जिनकी गिरदावरी में गड़बड़ियां हैं, वे अपने क्षेत्र के तहसीलदार को आवेदन देकर अपनी गिरदावरी जल्दी सुधरवा लेवें। जिससे समय के पहले पंजीयन हो सकें। प्रतिलिपि एसडीएम को भी देवें। कलेक्टर को भी व्हाटसअप पर मेसैज जरूर करें। आवश्यक हो तो उनसे मिलकर शिकायत करें। यह भी सुझाव दिया गया है कि किसान भाई अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियो, जनपद, जिला पंचायत के सदस्यो को भी इसमें सहयोग करने हेतु उन पर दवाब बनाने में कतई न झिझकें।