सरकार द्वारा शासकीय कार्यालयों में पदस्थ चपरासी एवं लिपिक से इन्कम टैक्स वसूला जा रहा है, जबकि पूंजीपति इससे बड़ी चतुराई से बच रहे हैं। इस माह एमपी के कर्मचारियों का आधा वेतन इन्कम टैक्स में कट गई, आधा वेतन अगले माह काटा जायेगा। आज करोड़ों रुपये कमाने वाले व्यापारी-व्यवसायी बिना पक्का बिल दिए बड़ी चतुराई से धंधा कर रहे व्यापारी और इनकम टैक्स वसूली से बच रहे है। वेतन से हो रही टैक्स कटौती से कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है।
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मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक योगेन्द्र दुबे एवं जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय ने बताया कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन का लेखा जोखा होता है, लेकिन बाजार में अधिकांश व्यापार बिना बिल के होता है, इसी तरह डाक्टरों की जांच की फीस की रसीद भी नहीं दी जाती, इससे एक शहर में ही बेहिसाब संपत्ति इनकम टैक्स से दूर रह जाती है। एक तरफ ज्यादा आय वाले बच रहे हैं, वहीं अपनी गुजर बसर कर रहे सरकारी कर्मचारियों के वेतन से वसूली की जा रही है। ईमानदारी से नौकरी करने के पश्चात उनके खून पसीने की कमाई से टैक्स वसूली गलत है।
मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक योगेन्द्र दुबे, जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, विश्वदीप पटेरिया, संतोष मिश्रा, अजुन सोमवंसी, रवि बांगड, एके प्यासी, बृजेंद्र मिश्रा, सतीश उपाध्याय, अजय दुबे ने कर्मचारियों के वेतन से की गई इन्कम टैक्स कटौती की निंदा करते हुए 10 लाख रुपये वार्षिक वेतन वालों के वेतन से इन्कम टैक्स ना काटने की मांग की है।