कोरोना संक्रमण से बने आपातकाल जैसे हालात में विद्युत सेवा बहुत ही महत्वपूर्ण हो गई है। चाहे अस्पताल हो या वैक्सीनेशन सेंटर अथवा अन्य जरूरी औद्योगिक इकाईयों के सुचारू संचालन के लिए बिजली की निरंतरता बनी रहे, ये अति आवश्यक है। लेकिन हैरानी की बात है कि इस कठिन समय में मध्य प्रदेश सरकार और विद्युत कंपनियों का प्रबंधन बिजली अधिकारियों और कर्मचारियों की कोई सुध नहीं ले रहा है।
वर्तमान में सैंकड़ों विद्युत अधिकारी एवं कर्मचारी बीमार है। अनेक अधिकारी एवं कर्मचारी अस्पतालों में भर्ती है और कई अधिकारी और कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हो चुकी है। कई संविदा और आउटसोर्स कर्मचारी तो सहयोगी कर्मचारियों के चंदे से इलाज करवाने को मजबूर हैं। विद्युत प्रबंधन जो कि हर कार्य की समीक्षा करके कार्यवाही का डंडा मारने तैयार रहता है, आज इस दुख और विपदा की घड़ी में कहीं दूर दूर तक साथ खड़ा नहीं दिखाई नहीं दे रहा है।
हाल ही में ऊर्जा विभाग द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट तौर पर जबलपुर के रामपुर स्थित एमपीईबी अस्पताल को जिला प्रशासन को इस शर्त के साथ सौंपा गया था कि बिजली कर्मचारियों के इलाज में प्राथमिकता दी जाएगी। जबकि जबलपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा ऐसा आदेश दिया गया कि जिसमें पूरे अस्पताल के डॉक्टर, नर्स और सपोर्टिंग स्टाफ को जबलपुर में ही दूसरी जगह भेज दिया गया, जिसके बाद एमपीईबी अस्पताल में ताला लटक रहा है।
इससे वहां चल रहा कोरोना वैक्सीनेशन भी बंद हो गया है। अगर विद्युत प्रबंधन और प्रदेश सरकार इस मुश्किल वक्त में बिजली कर्मियों के स्वास्थ्य सेवाओं को इस तरह से नजरअंदाज करेगी तो उसे ही परेशानी उठानी पड़ेगी। अगर और अधिक संख्या में बिजली कर्मचारी कोरोना का शिकार होते चले गए तो वो दिन दूर नहीं जब बिजली व्यवस्था पूर्ण रूप से ध्वस्त हो जाएगी।
विद्युत अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार और विद्युत कंपनी प्रबंधन से निवेदन किया है कि तत्काल मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर के आदेश को निरस्त करवाएं और रामपुर स्थित एमपीईबी अस्पताल को कोरोना के इलाज के लिए सक्षम बनाएं, जिससे की विद्युत अधिकारियों एवं कर्मचारियों का समुचित उपचार हो सके।