मध्यप्रदेश की बिजली कंपनियों को कार्मिकों ने आज सोमवार को भोपाल के एमपी नगर रॉयल स्टार होटल में संयुक्त बिजली कर्मचारी संगठन एकत्रित हुए और बैठक कर आंदोलन की रणनीति को लेकर चर्चा की। आंदोलन में शामिल अधिकारी-कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने सरकार, ऊर्जा विभाग और बिजली कंपनियों के प्रबंधन के रवैये और वादा खिलाफी पर आक्रोश जताते हुए कहा है कि तीन मांगों को लेकर 94 दिनों तक आंदोलन किया गया।
इस दौरान 5 जनवरी को प्रदेश के प्रमुख सचिव ऊर्जा के द्वारा संयुक्त संगठन के पदाधिकारियों को वार्ता में आमंत्रित किया गया था और उसमें गुजारिश करते हुए गया था कि इंदौर में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में इन्वेस्टर समिट में विदेशी राष्ट्राध्यक्ष, राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री का आगमन हो रहा है इसलिए 15 दिनों के लिए आंदोलन को स्थगित कर दें। प्रमुख सचिव ऊर्जा की गुजारिश पर आंदोलन में शामिल संगठनों ने आंदोलन को स्थगित कर दिया था।
इसके बाद प्रमुख सचिव ऊर्जा की बातों पर भरोसा कर आंदोलन स्थगित करने के बावजूद आज दिनांक तक प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं प्रमुख सचिव ऊर्जा के द्वारा संगठन को वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया। जिससे बाद संयुक्त संघ के द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि ऊर्जा विभाग की वादा खिलाफी के विरोध में 21 जनवरी से आंदोलन को जहां पर विराम दिया गया था, वहां से फिर प्रारंभ किया जाएगा। जिसके तहत अनिश्चितकालीन कामबंद हड़ताल की जाएगी।
गौरतलब है कि तकनीकी कर्मचारी संघ का पत्र क्रमांक 184 दिनांक 29 सितंबर 2022 को दिया गया था, जिसमें तीन मांग की गई थी। पहली मांग थी कि आउटसोर्स कर्मी एवं मीटर रीडर का बिजली कंपनियों में संविलियन कर उनके जीवन को सुरक्षित रखने के लिए मानव संसाधन नीति का निर्माण किया जावे। संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण करने के साथ ही, वर्ष 2012 के पूर्व एवं वर्तमान में सेवा के दौरान मृत हुए कर्मियों के आश्रितों को बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जावे। नियमित कर्मचारियों का रोका गया फ्रिंज बेनिफिट दिया जावे।
बैठक में तकनीकी कर्मचारी संघ के शंभूनाथ सिंह, हरेंद्र श्रीवास्तव, रामसमुझ यादव, अरुण ठाकुर, राजकुमार सैनी, राहुल मालवीय, गोपाल भार्गव, सतीश साहू, शिव राजपूत, शंकर यादव, रामकेवल यादव, असलम खान आदि उपस्थित थे।