मध्य प्रदेश की पहली सोलर सिटी और विश्व धरोहर साँची में की गई गतिविधियों से सालाना 13 लाख 747 टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आयेगी। यह लगभग 2 लाख 3 हजार वयस्क वृक्षों के बराबर है। इसके अलावा शासन और नागरिकों के ऊर्जा संबंधी व्यय में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हर साल लगभग 7 करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी। आठ मेगावॉट की साँची सौर परियोजना में शासकीय एवं घरेलू भवनों पर 220 किलोवॉट सोलर रूफटॉप संयंत्र स्थापित किये गये हैं।
साँची में शासकीय विद्यालय, जिला सहकारी बैंक, पुलिस स्टेशन, स्कूल, घर, कृषि सभी सौर ऊर्जा से संचालित होंगे। सौर ऊर्जा घरेलू, व्यावसायिक और कृषि विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति करेगी। ग्रिड कनेक्टेड सोलर संयंत्र से साँची शहर को 3 मेगावॉट और साँची ग्रामीण फीडर को 5 मेगावॉट बिजली दी जायेगी। शहर के नागरिकों को ऊर्जा के सदुपयोग एवं संरक्षण के प्रति व्यवहार में परिवर्तन के लिये ऊर्जा साक्षरता अभियान भी चलाया गया।
साँची स्तूप पर आवागमन के लिये गोल्फ कॉर्ट की व्यवस्था की गई है। नागरिकों को भी इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग के लिये प्रोत्साहित और जागरूक किया जा रहा है। वाहनों के लिये ई-रिचार्जिंग स्टेशन स्थापित किये गये हैं। शहर में सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता एवं उपयोग के लिये विभिन्न ऑफग्रिड संयंत्रों की स्थापना की गई है, जिनमें सोलर वॉटर कियोस्क, सोलर स्टड, सोलर हाईमास्ट, सोलर ट्री, वर्टिकल एक्सिस, विण्ड टर्बाइन शामिल हैं।
साँची में रेलवे द्वारा 50 किलोवॉट, मध्यप्रदेश पर्यटन 104 किलोवॉट, स्कूल शिक्षा 13 किलोवॉट, पोस्ट-ऑफिस 3 किलोवॉट, पुरातत्व संग्रहालय 8 किलोवॉट, डिस्काम ऑफिस 2 किलोवॉट, सरकारी अस्पताल 10 किलोवॉट, घरेलू 45 किलोवॉट, इस तरह कुल 245 किलोवॉट की रूफटॉप सोलर क्षमता निर्मित की जा चुकी है। शहर में घरेलू सौर उपकरणों को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। स्कूली बच्चों को अध्ययन के लिये सोलर स्टडी लेम्प, छोटे व्यवसायियों के लिये सोलर स्टेण्ड लेम्प और बुजुर्गों एवं गृहणियों के दैनिक कार्यों के लिये सोलर लालटेन की व्यवस्था की गई है।