मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों में अगले कुछ महीनों के भीतर लगभग एक हजार इंजीनियरों की भर्ती की जाएगी। इसके अलावा आफिस स्टाफ और लाइनमैनों की भर्ती भी की जाएगी। उल्लेखनीय है कि जबलपुर दौरे पर आए प्रदेश के प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे ने शक्तिभवन में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा था कि बिजली कंपनियों में मैनपावर की कमी को पूरा करने अभी तक रिटायरमेंट के अनुपात में विभाग द्वारा नई भर्तियों का अप्रूवल दिया जा रहा था। लेकिन अब बिजली कंपनियों में अभी भी मैनपावर की कमी है, जिसे जल्द दूर किया जाएगा।
संजय दुबे ने कहा कि प्रदेश की बिजली उपलब्धता और उपभोक्ताओं की शिकायतों का समय पर समाधान हो, इसके लिए एक हजार इंजीनियरों की भर्ती की जाएगी। वहीं लाइन स्टाफ के लिए तय किया है कि रिक्त हो रहे पदों पर भर्तियां की जाएगी। उन्होंने दावा किया कि सहायक अभियंता के लिए तीन माह और कनिष्ठ अभियंता के लिए छह माह में भर्ती पूरी कर ली जाएगी। सहायक अभियंता के पद पर भर्ती एमटेक की मेरिट सूची के आधार होगी। वहीं कनिष्ठ अभियंता के पद पर नियुक्ति के लिए सरकारी एजेंसी को जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके अलावा लाइन स्टाफ के लिए एक समान व्यवस्था की जा रही है, जिसके तहत रिक्त होते जा रहे पदों को जल्द भरा जाएगा।
वहीं सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि बिजली कंपनी प्रबंधन ये बात मान रहा है कि मैदानी इलाकों में तकनीकी स्टाफ की भारी कमी है। जिससे उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवा प्रदान करने में परेशानियां आ रही हैं। जिसे देखते हुए ऊर्जा विभाग और बिजली कंपनी के आला अधिकारी अब नई योजना पर काम कर रहे हैं, ताकि मैदानी क्षेत्रों में तकनीकी अमले की कमी को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके।
सूत्रों की माने तो इसके लिए बिजली कंपनियों में अब मैदानी स्तर पर तकनीकी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के बाद उस पद को समाप्त नहीं किया जाएगा, बल्कि उस पद पर नई नियुक्ति की जाएगी। जबकि अभी तक सभी कैडर के पद सेवानिवृत्ति के साथ ही समाप्त करने का प्रचलन बन गया था। हालांकि अमले की कमी को पूरा करने के लिए कंपनी प्रबंधन फ्रेश भर्ती करने के साथ ही अनुभवी संविदा कर्मियों का नियमितीकरण और आउटसोर्स कर्मियों का कंपनी में संविलियन करेगा या नहीं, ये अभी स्पष्ट नहीं है।