मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 11 नवंबर 2014 को भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव से पहले जन संकल्प पत्र जारी किया था, उसके पेज नंबर 33 एवं बिंदु क्रमांक 9.6 में स्पष्ट लिखा था कि प्रदेश के संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जावेगा, जो आज तक नहीं किया गया है।
वहीं तकनीकी कर्मचारी संघ ने नियमित, संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारियों की तीन सूत्रीय मांग को लेकर 21 जनवरी से 24 जनवरी 2023 को संपूर्ण मध्य प्रदेश के 52 जिलों के लगभग 45000 कर्मचारियों अधिकारियों के द्वारा हड़ताल की गई। उसके बाद 4 जुलाई 2023 को प्रदेश के मुख्यमंत्री के द्वारा भोपाल में संविदा कर्मचारियों की महापंचायत बुलाई, उसमें मुख्यमंत्री जी के द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि नियमित कर्मचारियों के समान संविदा कर्मचारियों को सारी सुविधाएं दी जावेगी।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि लेकिन इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने 22 जुलाई 2023 को संविदा नीति जारी की, जिसमें मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव ऊर्जा के द्वारा विद्युत मंडल की कंपनी प्रबंधन से संविदा नीति में संशोधन करने हेतु अनुशंसा भी की गई। संघ ने फिर एक बार पत्र लिखकर कंपनी प्रबंधन से मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव ऊर्जा के निर्देशानुसार संविदा नीति में संशोधन की मांग की है।
तकनीकी कर्मचारी संघ लगभग 10 वर्षों से संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की लड़ाई लड़ रहा है जिसमें सैकड़ो की तादात में कंपनी एवं शासन को पत्र लिखे गए हैं। संघ द्वारा मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव ऊर्जा, विशेष कर्तव्य अधिकारी एवं कंपनी प्रबंधनों को संविदा नियमों में संशोधन हेतु पत्र लिखा गया है।
संघ के राम समझ यादव, शंभू नाथ सिंह, हरेंद्र श्रीवास्तव, रमेश रजक, केएन लोखंडे, जेके कोस्टा, एसके मौर्य, अजय कश्यप, एसके शाक्य, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, विनोद दास, रतिपाल यादव, राम केवल यादव, असलम खान, राजेश काले, इंद्रपाल सिंह, लाखन सिंह राजपूत, संदीप दीपंकर आदि ने प्रमुख सचिव ऊर्जा से संविदा नियमों में संशोधन किए जाने की मांग की है।