इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के लोकल सेंटर जबलपुर में विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में ओनली वन अर्थ थीम पर वेबीनार का आयोजन किया गया। जिसमें अनेक नामी पर्यावरण विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। विशेषज्ञों ने वेबीनार में इस बात पर जोर दिया कि विकास के साथ पर्यावरण को बचाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि इस बदलते ग्लोबल वार्मिंग के दौर में पर्यावरण की कीमत पर विकास स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम का शुभारम्भ इंजी. प्रकाश चंद्र दुबे, अध्यक्ष, जबलपुर लोकल सेंटर के स्वागत भाषण से हुआ। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. आरके भाटिया, फैकल्टी सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेन्ट, जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज, विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ पीएस बुन्देला, क्षेत्रीय अधिकारी, मप्र प्रदूषण नियंत्रक आयोग रीवा उपस्थित रहे।
विषय के सन्दर्भ में इंजी. राकेश जैन, संयोजक ने थीम ओनली वन अर्थ व कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन व आभार प्रदर्शन इंजी. संजय मेहता, मानसेवी सचिव ने किया। कार्यक्रम में इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के अन्य सदस्यों में इंजी. राकेश राठौर काउन्सिल मेम्बर, केसी जैन, ब्रिगेडियर विपिन त्रिवेदी, डॉ आईके खन्ना, इंजी. आशीष चक्रवर्ती, इंजी. रमण मेहता, इंजी. विनोद बिरथरे, इंजी. नरेश मेहता, इंजी. केके गुप्ता, इंजी. जेपी पाराशर, इंजी. दीक्षा मेहता, इंजी. अंजनी पाण्डे, इंजी. सुरेश विश्वकर्मा एवं अन्य सदस्य व अभियंता उपस्थित थे।
वक्ताओं ने अपने उद्बोधन में हुए कहा कि ओनली वन अर्थ का मतलब है कि हमें साथ मिलकर हमारी पृथ्वी को बचाना है, उन्होंने यह भी कहा की हम विकास के नाम पर विनाश कर रहे हैं। पहले के समय में हम प्रकृति से प्राप्त संसाधनों से ही अपनी जरूरतों को पूरा किया करते थे, लेकिन अब हम अपनी जीवन शैली को सरल और सुलभ बनाने के लिए कम्पोजिट मटेरियल का इस्तेमाल करते है, इससे पृथ्वी की ईकोलॉजी एवं चक्र मे व्यवधान उत्पन्न कर दिया है, जिससे की जलवायु में परिवर्तन हो रहा है और ओजोन लेयर में छिद्र हो गया है, जो दिन प्रतिदिन बढता जा रहा है। इसलिए हमें पर्यावरण को बचाने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा।
विशिष्ट अतिथि डॉ पीएस बुन्देला, क्षेत्रीय अधिकारी, मप्र प्रदूषण नियंत्रक आयोग रीवा ने सिंगल यूज प्लास्टिक के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया की 1 जुलाई से मध्य प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक जैसे पानी के ग्लास, चम्मच, कटोरी इत्यादी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। उन्होंने बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक को नष्ट करना बहुत ही कठिन है और इसे जलाना तो और भी हानिकारक है।