एमपी सरकार की अनदेखी से सबसे ज्यादा शोषित हो रहे आउटसोर्स एवं संविदा बिजली कर्मचारी

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव के नेतृत्व में संपूर्ण मध्य प्रदेश में विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती कंपनियों में सबसे ज्यादा शोषण का शिकार हो रहे 45000 आउटसोर्स, संविदा एवं नियमित कर्मचारियों की मांगों को लेकर 94 दिनों का आंदोलन किया जा रहा है। उसी कड़ी में बरगी, भेड़ाघाट और पनागर में जन जागरण सभा की गई।

तकनीकी कर्मचारी संघ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि वर्ष 1988 से नियमित कर्मचारियों को प्रमोशन नहीं दिया गया है। हजारों कर्मचारी बगैर प्रमोशन के ही सेवानिवृत्त हो गए। बाकी बचे बिना प्रमोशन हेल्पर के पद पर नौकरी कर रहे कर्मचारियों से ही करंट जैसा जोखिम का कार्य कराया जा रहा है। पिछले वर्षों के दौरान अनेक कर्मचारियों की मृत्यु हो गई या अपंग हो गए हैं। वर्ष 2012 के पूर्व के जिन कर्मचारियों की मृत्यु हो गई है, उनके परिवार के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई है। वे आज भी भटक रहे हैं।

दूसरी ओर आउटसोर्स कर्मचारी जो मध्य प्रदेश के 52 जिलों में विद्युत व्यवस्था को 24 घंटे सुचारू रूप से चलाएमान रखे हुए हैं। कार्य के दौरान अनेक आउटसोर्स कर्मचारियों की मृत्यु हो गई है। जिसे देखते हुए आउटसोर्स कर्मचारियों का 20 लाख का बीमा कराया जावे। कैशलेस उपचार की सुविधा दी जावे, उनके आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति दी जावे, उनके लिए मानव संसाधन नीति बनाई जावे। इसके साथ ही संविदा कर्मचारियों का भारतीय जनता पार्टी के चुनावी संकल्प पत्र के अनुसार नियमितीकरण किया जाए। नियमित कर्मचारी को फ्रिंज बेनिफिट दिया जावे।

संघ के मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, आजाद सकवार, जगदीश मेहरा, इंद्रपाल सिंह, विनोद दास, राजेश शरण, लखन राजपूत, सुरेंद्र मेश्राम, संदीप दीपांकर, अमित मेहरा आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि आउटसोर्स एवं संविदा कर्मी जिनकी संख्या 45000 से भी ज्यादा है, वे सभी विद्युत कंपनियों में सबसे ज्यादा शोषित हो रहे हैं। उनके मानव अधिकारों हनन कर श्रम नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए मानव संसाधन नीति एवं संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण किया जाए।