मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक निर्णय लिया है कि प्रदेश में धारणाधिकार के अतंर्गत नगरीय क्षेत्र में स्थित शासकीय भूखण्डों के ऐसे अधिभोगियों को जो उनके पास में 31 दिसम्बर 2014 या उसके पूर्व निर्विवाद रूप से आधिपत्य में रह रहें है और वर्तमान में भी आधिपत्य में चले आ रहे हैं, उन्हें चिन्हाकिंत कर यथोचित प्रब्याजी और भू-भाटक लेकर 30 वर्षीय स्थाई पटटे जारी किये जाएंगे।
इसके लिये ऑनलाईन आवेदन प्रस्तुत करना होगा। जिसके अनुक्रम में जिला कलेक्टर द्वारा जाँच उपरांत पात्र लोगों को पटटे दिये जा सकेगे। राज्य शासन के उपयोग की भूमि, नदी, नालों, धार्मिक संस्था पार्क, खेल मैदान, सड़क, गली या अन्य सामुदायिक उपयोग की भूमियों के मामले में पटटे नहीं दिये जाएंगे।
इस प्रक्रिया में ऐसे विशेष प्रकरणों जिनमें पटटे की भूमि कभी शासकीय तथा कभी निजी भूमि स्वामी हक मे दर्ज रही हैं। ऐसे मामलें में जिला कलेक्टर से प्रस्ताव प्राप्त होने पर राज्य शासन की स्वीकृति के बाद पटटे दिये जा सकेंगे।
इससे पट्टाधारक को अपने हिस्से के भू-खंड के पटटे प्राप्त हो सकेंगे, जिससे वे भू-खंडो का बेहतर उपयोग करने के लिये बैंक से लोन प्राप्त कर सकेंगे और भू-खंडों को अतंरण भी कर सकेंगे। ऐसे व्यवस्थापन से राज्य शासन को प्रब्याजी तथा भू-भाटक के रूप में राजस्व प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नजूल भूमि के संबंध में 50 वर्षों बाद राज्य मंत्री परिषद ने अभूतपूर्व फैसला किया है, जिसके चलते अब आवासीय नजूल भूमि के स्थाई पट्टाधारियों को भूमिस्वामी हक मिल सकेगा साथ ही अस्थाई पट्टाधारियों को भूमि का स्थाई पट्टा मिल सकेगा। वे भूमि का अंतरण करा सकेंगे तथा इस पर बैंक से ऋण भी ले सकेंगे। वे भूमि के मालिक बन जाएंगे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि इस संबंध में राजस्व विभाग काफी समय से निरंतर कार्य कर रहा था। उन्होंने इस ऐतिहासिक एवं जनकल्याणकारी फैसले के लिए राजस्व विभाग सहित संबंधित सभी को बधाई दी।