मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव एवं संघ पदाधिकारियों के द्वारा रामपुर स्थित प्रधान कार्यालय में बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें उपस्थित संघ पदाधिकारियों ने अपनी अपनी बात रखी। बैठक में सभी ने गंभीर होकर चिंता व्यक्त की है कि हर दिन मध्य प्रदेश के 52 जिलों में कहीं ना कहीं करंट लगकर विद्युत कर्मचारियों की मृत्यु हो रही है या घायल हो रहे हैं। इन घटनाओं में परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाने की वजह से किसी मां का लाड़ला दुनिया से रुखसत हो रहा है या किसी की पत्नी विधवा हो रही है, यह एक बहुत ही गंभीर विषय है। इस पर किस तरह से रोक लगे इसमें मंथन और चिंतन की जरूरत है।
बैठक में उपस्थित पदाधिकारियों के द्वारा आक्रोश जताते हुए कहा गया है कि संपूर्ण मध्यप्रदेश में विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से चलायमान रखने वाले आउटसोर्स कर्मियों की संख्या लगभग 50,000 है, जिनको विद्युत सिस्टम में पोल पर चढ़कर या किसी भी प्रकार के करंट का कार्य करने का अधिकार नहीं है। आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति सिर्फ नियमित स्टाफ के सहयोगी के तौर पर हुई है, लेकिन मैदानी अधिकारी, आउटसोर्स कर्मियों के ऊपर दबाव बनाकर करंट का कार्य करवाते हैं, जिससे सैकड़ों की संख्या में कर्मियों की मृत्यु हो चुकी है और सैकड़ों आउटसोर्स कर्मी दिव्यांग अथवा गंभीर रूप से घायल होकर बेबसी की ज़िन्दगी जी रहे हैं।
MPEBTKS के महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने पूछा कि आखिर इसका जवाबदार कौन है? बिजली कंपनियों का प्रबंधन सिर्फ राजस्व वसूली पर ध्यान दे रहा है। 15 वर्षों से लगातार कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं, नियमित कर्मचारियों की अत्यधिक कमी हो गई है। आज की स्थिति में जो आउटसोर्स कर्मी हैं, उनका बिजली कंपनियों में संविलियन कर ठेकेदारी प्रथा समाप्त करना चाहिए और उन्हें अनुभव के आधार पर सहायक लाइनमैन एवं लाइनमैन के पद की जिम्मेदारी देकर कार्य कराना चाहिए, क्योंकि विद्युत विभाग एक ऐसा औद्योगिक संस्थान है जहां पर कार्य के दौरान जान का अत्यधिक जोखिम होता है और करंट का कार्य करने के दौरान कर्मचारियों की मृत्यु तक हो जाती है। वहीं कुछ कर्मी गंभीर रूप से घायल होकर दिव्यांग हो जाते हैं और शापित जीवन जीने के लिए विवश हो जाते हैं।
संघ के राजकुमार सैनी, मोहन दुबे, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, अमीन अंसारी, कमलेश नामदेव, पीके मिश्रा, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, राजेश यादव, विनोद दास, प्रकाश काछी, मुकेश पटेल, संतोष पटेल, इंद्रपाल सिंह, संदीप दीपांकर आदि ने प्रदेश के संवेदनशील ऊर्जा मंत्री से मांग की है कि जो बिजली कर्मी, विद्युत तंत्र को चलायामान रखे हुए हैं उन आउटसोर्स कर्मियों की सुरक्षा, जीविकोपार्जन के स्थायित्व और सुखद भविष्य के लिए चिंतन और मंथन की आज जरूरत है।